जब State Bank of India (SBI) ने Supreme Court के कड़े आदेशानुसार Election Bonds के बारे में Data Election Commission को सौंपा, तो इसने न केवल financial लेन-देन के transparency के मुद्दे को उजागर किया बल्कि भारतीय Democracy में सूचना के अधिकार की अहमियत को भी रेखांकित किया। Supreme Court ने सोमवार को SBI की उस Petition को खारिज कर दिया जिसमें बैंक ने 6 मार्च की समय सीमा को बढ़ाने की मांग की थी ताकि वह इस Data को जारी कर सके।
यह इस बात का संकेत है कि कैसे अदालतें और Judicial System, Financial Transparency और जनहित को सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रही हैं। Supreme Court के मुख्य न्यायाधीश DY Chandrachud की अगुवाई में एक bench ने SBI को “इच्छाशक्ति की कमी” के लिए सख्त चेतावनी दी और Contempt Proceedings की धमकी दी, यदि बैंक इस आदेश का पालन नहीं करता।
SBI का कहना था कि Data एकत्रित करने, जांचने और जारी करने में काफी समय लगेगा, जिसे दोनों पक्षों की Confidentiality बनाए रखने के लिए दो “Silos” में संग्रहित किया गया था। बैंक ने अधिक समय की मांग की, कहा कि “हमें बताया गया था कि यह एक गुप्त प्रक्रिया है,” और 30 जून तक का समय मांगा। लेकिन यह समय सीमा 2024 के आम चुनावों की समाप्ति के बाद थी।
Supreme Court ने Bank को संकेत दिया कि Donors की जानकारी SBI की मुंबई शाखा में उपलब्ध है, और बैंक को केवल “कवर खोलने, विवरणों को संकलित करने और जानकारी देने” की आवश्यकता है। “हमने आपको matching की exercise करने के लिए नहीं कहा था। हमने आपसे केवल स्पष्ट खुलासे के लिए कहा था,” मुख्य न्यायाधीश ने SBI को फटकारा।
पिछले महीने, एक ऐतिहासिक फैसले में, Supreme Court ने Election Bonds योजना को “Unconstitutional” करार दिया और कहा कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है। SBI को 6 मार्च तक Data प्रकट करने और Election Commission को इस जानकारी को 13 मार्च तक सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया था।
इस पूरे situation से एक बात स्पष्ट होती है कि Democracy में transparency और जनता के अधिकार की रक्षा के लिए Judicial हस्तक्षेप अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि Political funding में Confidentiality की आड़ में कोई अनुचित कार्य न हो, ऐसे कदम अनिवार्य हैं। आखिरकार, एक स्वस्थ Democracy में, जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि उनके नेताओं और राजनीतिक दलों को कौन और कितना Fund कर रहा है।