14 मई को मनाया जा रहा Ganga Saptami का पर्व, सनातन धर्म में इसे बहुत उच्च स्थान प्राप्त है. यह दिन देवी गंगा के पुनर्जन्म का प्रतीक है, जब वे भगवान शिव की जटाओं से पृथ्वी पर अवतरित हुईं.
इस वर्ष गंगा सप्तमी Vaishakha मास के शुक्ल पक्ष में, 13 मई की शाम से शुरू होकर 14 मई की शाम तक मनाई जा रही है.
क्यों मनाई जाती है Ganga Saptami?
इस दिन को Ganga Jayanti भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन देवी गंगा दोबारा धरती पर अवतरित हुई थीं.
इस अवसर पर देवी गंगा की पूजा की जाती है और उनके प्रति आभार और श्रद्धा व्यक्त की जाती है.
देवी गंगा का महत्व
पद्मपुराण और अन्य हिंदू शास्त्रों के अनुसार, देवी गंगा को ब्रह्माजी ने सृष्टि के मूल के रूप में पहचाना और उन्हें सभी धर्मों की प्रतिष्ठित देवी माना गया.
वे शिवजी की जटाओं से पृथ्वी पर आईं और उनका जल मानवता के लिए पवित्र माना गया.
गंगा पूजन की विधि और इसके लाभ
Ganga Saptami के दिन, देवी गंगा की विशेष आराधना की जाती है. इस दिन विशेष रूप से स्नान, दान और पूजन करने से धन-संपत्ति, सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
इस दिन किया गया दान विशेष रूप से फलदायी माना जाता है.
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, सबसे पहले देवी गंगा को धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. गंगा सप्तमी का व्रत रखें और इस दिन गंगा मां की स्तुति और स्तोत्र का पाठ करें.
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आज के दिन के खास योग
इस वर्ष Ganga Saptami के दिन अनुकूल योग और नक्षत्र की स्थिति है. पुष्य नक्षत्र के साथ-साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग जैसे शुभ योग भी इस दिन विशेष रूप से होंगे, जो इस दिन की पूजा को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं.
इस प्रकार, Ganga Saptami न केवल हमारी आध्यात्मिक भावनाओं को जगाती है बल्कि यह हमें जीवन के प्रति पवित्रता और समर्पण की भावना से भी भर देती है.
आज की गई पूजा और दान हमें आत्मिक शांति प्रदान करेंगी और हमारे जीवन में सकारात्मकता लाएंगे.